Consolidation chart pattern दोस्तों अगर आप शेयर मार्केट में या फॉरेक्स मार्केट में इन्वेस्ट करते हैं ट्रेडिंग करते हैं इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं या फिर स्विंग ट्रेडिंग करते हैं तो आपको स्टॉक मार्केट का या फॉरेक्स मार्केट का चार्ट पढ़ना आना चाहिए |
मार्केट चार्ट पढ़ने से मेरा मतलब है की आपको प्राइस एक्शन के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए चार्ट पेटर्न और प्राइस एक्शन एक ही चीज है अगर आप अच्छे से चार्ट को पढ़ना सीख जाओगे तो आप स्टॉक मार्केट में एक सक्सेसफुल Trader बन जाओगे |
Consolidation Pattern Full Analysis in Hindi दोस्तों आज हम जिस टॉपिक के बारे में बात करने वाले हैं (Consolidation Chart Pattern) वह टॉपिक स्टॉक मार्केट या फॉरेक्स मार्केट में बहुत बड़ा प्रॉफिट बनाने के लिए बहुत अहम रोल रखता है अगर आपने इस चार्ट पेटर्न को अच्छे से समझ लिया सीख लिया और इस पैटर्न की प्रैक्टिस कर ली तो आपको कोई भी नहीं रोक सकता एक बड़ा प्रॉफिट बनाने से |
दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं कंसोलिडेशन चार्ट पैटर्न के बारे में दोस्तों आपने बहुत बार देखा होगा मार्केट में बहुत बार लंबी-लंबी ग्रीन कैंडल बनती है या फिर लंबी लंबी रेड कैंडल बनती है वह सब इसी चार्ट पेटर्न के बाद ही बनती है तभी तो मैंने आपको ऊपर बोला अगर आप इस पैटर्न को अच्छे से समझ गए गए तो आप बहुत बड़ा प्रॉफिट बना सकते हो
क्योंकि इसी पैटर्न के बाद ही मार्केट लंबी और बड़ी-बड़ी ग्रीन और रेड कैंडल बनता है आपको पता ही होगा एक कैंडल 100 से ज्यादा पॉइंट की बनती है और ऐसे में एक साथ दो या तीन कैंडल बन जाती है |
दोस्तों अगर आपने इस पोस्ट को पूरा अंत तक ध्यान से पढ़ लिया तो आप इस चार्ट पेटर्न को अपने दिमाग में हमेशा के लिए छाप लोग और जब भी यह पैटर्न लाइव मार्केट में चार्ट पर बनेगा तो आप आसानी से इसे पहचान लोगे और मार्केट में एक अच्छा प्रॉफिट बना लोगे तो चलिए आज का टॉपिक शुरु करते हैं और आपको बताते हैं कि यह पैटर्न कब बनता है और इस पैटर्न में आपको कैसे एंट्री करनी है कहां पर आपको एग्जिट करना है और आपको अपना स्टॉपलॉस कहां लगाना है |
इसके साथ ही मैं आपको मार्केट के कुछ ऐसे हिडन फीचर भी बताऊंगा जिससे आप बच पाओगे और आपको लॉस नहीं होगा मेरा मतलब है कि जब मार्केट में ट्रैप होगा तो आपको पता लग जाएगा कि अब ट्रैप होने वाला है वहां पर आप एंट्री नहीं लगे पोस्ट को पूरा पढ़ना दोस्तों पूरा मजा आएगा और आपके दिमाग में हर बातें अच्छे से छप जाएगी | Head and shoulders Pattern
Contents
- 1 Consolidation Chart Pattern Kya Hota Hai
- 2 कंसोलिडेशन पैटर्न के निर्माण के पीछे की सायकोलॉजी
- 3 कंसोलिडेशन चार्ट पैटर्न की पहचान कैसे करें?
- 4 Consolidation Chart Pattern Kitne Parkar Ka Hota Hai
- 5 कंसोलिडेशन पैटर्न में ब्रेकआउट कैसे होता है?
- 6 Consolidation Market Ke Hidden Truth
- 7 Consolidation Market में Trade कैसे करें
- 8 कंसोलिडेशन चार्ट पैटर्न में टार्गेट कहाँ लगाये
- 9 कंसोलिडेशन चार्ट पैटर्न में स्टॉप लॉस कहाँ लगाये
- 10 कंसोलिडेशन पैटर्न के फायदे और सीमाएँ
- 11 कंसोलिडेशन पैटर्न में ट्रेडिंग करते समय सावधानियाँ
- 12 कंसोलिडेशन पैटर्न का अभ्यास कैसे करें?
- 13 कंसोलिडेशन पैटर्न का उपयोग किस प्रकार के निवेशकों के लिए उपयोगी है?
- 14 निष्कर्ष
Consolidation Chart Pattern Kya Hota Hai
सबसे पहले जानते हैं कंसोलिडेशन क्या होता है दोस्तों मान लीजिए मार्केट ओपन होते ही एक तरफ भागती है एक सपोर्ट या रेजिडेंस लेवल पर जाकर टकरा जाती है टकराने के बाद क्या होता है की मार्केट थोड़ा ऊपर जाती है थोड़ा नीचे आती है थोड़ा ऊपर जाती है थोड़ा नीचे आती है कुछ समय (घंटे) के लिए मार्केट चोपी हो जाती है या मार्केट रुक जाती है और एक छोटे से जोन में ऊपर नीचे होती रहती है इसे ही Consolidation बोला जाता है |
जैसे ही मार्केट इस कंसोलिडेशन रेंज को तोड़ती है उसके बाद ही मार्केट में बहुत बड़ी-बड़ी ग्रीन और रेड कैंडल बनती है जिससे हर कोई ट्रेडर को बहुत बड़ा प्रॉफिट होता है और इसी कंसोलिडेशन के बाद बहुत सारे ट्रेडर का लॉस भी होता है क्योंकि यहां पर सबसे ज्यादा ट्रैप भी होता है |
अगर आपने इस चार्ट पेटर्न को अच्छे से सीख लिया तो आप इस ट्रैप से बच जाओगे और बड़ी-बड़ी रेड या बड़ी-बड़ी ग्रीन कैंडल आपको आसानी से मिल जाएगी |
जब भी मार्केट चोपी हो जाती है या कंसोलिडेशन करती है समझ लीजिए इसमें इनसाइडर कोई ना कोई गेम हो रहा है और आपको दिखाई नहीं दे रहा है या आपको नहीं पता है |
एसी मार्केट में बहुत सारे नए Trader लोग फंस जाते हैं क्योंकि सभी सोचते हैं मार्केट ऊपर जाएगी और सभी यहां पर खरीदते हैं मार्केट थोड़ी सी ऊपर जाती है अब वहां ऊपर इनसाइडर फिर दोबारा से मार्केट को बेच देते हैं जिस वजह से मार्केट फिर दोबारा नीचे आ जाती है |
बहुत सारे Trader इस चोपी मार्केट में यह सोचते हैं कि मार्केट एक रेंज बाउंड में आ गई है अब जैसे ही मार्केट इस रेंज को तोड़ेगा तो एक बहुत बड़ा मूवमेंट देखने को मिलेगा इनसाइडर इसी बात का फायदा उठाते हैं और बहुत सारे Traders का लॉस करवाते हैं जब इस रेंज बाउंड से मार्केट थोड़ा सा बाहर निकलती है तो हर कोई Traders बड़े मूवमेंट के लालच में एंट्री कर लेता है और इनसाइडर वहीं पर उनके साथ गेम खेल देते हैं और इसी के बाद ही बहुत बड़ा ट्रैप होता है ज्यादा खासकर यह ट्रैप आपको बैंक निफ्टी में देखने को मिलता है |
जैसा कि दोस्तों आपको पता है मार्केट फेयर एंड ग्रिड से चलती है जब एक कैंडल बड़ी बनती है तो हर कोई ट्रेडर सोचता है कि मूवमेंट हाथ से निकल रहा है तो बहुत जल्दी से लालच के चक्कर में उसमें एंट्री ले लेता है कुछ मिनट बाद वही कैंडल पलट जाती है और वहां पर सभी Traders का लॉस होता है |
कंसोलिडेशन की विशेषताएँ:
- सीमित दायरा (Range Bound Market): इस पैटर्न में कीमतें एक निश्चित रेंज के भीतर बनी रहती हैं और न तो बहुत ऊपर जाती हैं और न ही बहुत नीचे। यह रेंज सपोर्ट और रेजिस्टेंस के बीच होता है।
- कम वोल्यूम (Low Volume): कंसोलिडेशन के समय में ट्रेडिंग वॉल्यूम सामान्य से कम हो जाता है, क्योंकि बाजार में अनिश्चितता बनी रहती है और निवेशक ट्रेंड का इंतजार कर रहे होते हैं।
- कोई स्पष्ट ट्रेंड नहीं (No Clear Trend): इस स्थिति में न तो बुलिश ट्रेंड होता है और न ही बियरिश। कीमतें साइडवेज (Sideways) चलती हैं।
- ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन का इंतजार: कंसोलिडेशन के बाद अक्सर ब्रेकआउट (उपर की ओर) या ब्रेकडाउन (नीचे की ओर) होता है, जो नए ट्रेंड की शुरुआत का संकेत देता है।
कंसोलिडेशन पैटर्न के निर्माण के पीछे की सायकोलॉजी
कंसोलिडेशन के निर्माण के पीछे बाजार के प्रतिभागियों की भावनाएँ और उनके निर्णय महत्वपूर्ण होते हैं। इसे समझना जरूरी है, क्योंकि इससे आप बाजार की गतिविधियों का बेहतर विश्लेषण कर सकते हैं।
- बाजार में अनिश्चितता: कंसोलिडेशन के दौरान बाजार में अनिश्चितता होती है। निवेशक और ट्रेडर्स इस बात का इंतजार कर रहे होते हैं कि कीमतें किस दिशा में जाएंगी। वे बाजार में प्रवेश करने से पहले स्पष्ट ट्रेंड का इंतजार करते हैं।
- खरीदारों और विक्रेताओं के बीच संघर्ष: कंसोलिडेशन में खरीदार और विक्रेता दोनों संघर्षरत होते हैं। कोई भी पक्ष स्पष्ट जीत नहीं हासिल कर पाता, इसलिए कीमतें एक रेंज में बंधी रहती हैं।
- ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन की तैयारी: कंसोलिडेशन के दौरान बाजार में ऊर्जा संचित होती है। एक बार जब ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन होता है, तो कीमतें तेज़ी से उस दिशा में बढ़ सकती हैं।
कंसोलिडेशन चार्ट पैटर्न की पहचान कैसे करें?
दोस्तों अब जानते हैं कि आप लाइव मार्केट के चार्ट में कंसोलिडेशन को कैसे पहचानोगे तो इसके लिए दोस्तों मैं आपको साफ और आसान शब्दों में बताना चाहूंगा मार्केट एक मूवमेंट देने के बाद ही कंसोलिडेटेड करती है जब कोई मूवमेंट पूरा हो जाता है तो उसके बाद मार्केट काफी समय के लिए चोपी हो जाती है |
आपने सुना होगा पूरे दिन में मार्केट 80 परसेंट चोपी (Consolidation करती) रहती है और 20% ही मूवमेंट देती है |
जब आपको मार्केट में लंबी और बड़ी एक या दो कैंडल दिखाई दे और उसके बाद मार्केट बिल्कुल छोटी-छोटी कैंडल बनाने लग जाए और वहां पर बहुत ज्यादा समय व्यतीत करें तो उसे समय आपको समझ लेना है कि अब मार्केट कंसोलिडेशन कर रही है जैसे ही मार्केट इस कंसोलिडेशन जॉन से बाहर आएगी मार्केट फिर दोबारा से एक अच्छा मूवमेंट देगी |
अब आपको उन छोटी-छोटी कैंडल का High और Low को होरिजेंटल लाइन से मार्क कर लेना है और इंतजार करना है कि आपकी सपोर्ट होरिजेंटल लाइन या रेजिडेंस होरिजेंटल लाइन को मार्केट ब्रेक करें और उसे रिसेट करें उसके बाद आपको एंट्री लेनी है |
अगर आपने लाइव स्टॉक मार्केट के चार्ट में इस 20% वाले मूवमेंट को पहचान लिया तो आप अच्छा खासा प्रॉफिट मार्केट से निकल पाओगे |
चार्ट में कंसोलिडेशन पैटर्न को पहचाने
- सीमित दायरे की पहचान करें: सबसे पहले, चार्ट पर उन स्तरों की पहचान करें जहाँ कीमतें बार-बार रुक रही हैं। ये स्तर सपोर्ट और रेजिस्टेंस हो सकते हैं।
- वोल्यूम का विश्लेषण करें: कंसोलिडेशन के दौरान वॉल्यूम कम होता है। अगर आप देखते हैं कि कीमतें साइडवेज चल रही हैं और वॉल्यूम भी कम है, तो यह कंसोलिडेशन का संकेत हो सकता है।
- ट्रेंडलाइन का उपयोग करें: कंसोलिडेशन पैटर्न में ट्रेंडलाइन का उपयोग करके आप सपोर्ट और रेजिस्टेंस की स्पष्ट पहचान कर सकते हैं। ट्रेंडलाइन्स से आप यह समझ सकते हैं कि कीमतें किस रेंज में सीमित हैं।
- ब्रेकआउट और ब्रेकडाउन का इंतजार करें: कंसोलिडेशन के बाद बाजार में अक्सर एक मजबूत मूवमेंट होता है। जब कीमतें रेजिस्टेंस को तोड़ती हैं, तो ब्रेकआउट होता है, और जब वे सपोर्ट को तोड़ती हैं, तो ब्रेकडाउन होता है।
Consolidation Chart Pattern Kitne Parkar Ka Hota Hai
- रेक्टेंगल (Rectangle): इस पैटर्न में कीमतें एक आयताकार दायरे में घूमती रहती हैं। ऊपर का स्तर रेजिस्टेंस और नीचे का स्तर सपोर्ट होता है।
- सिमेट्रिकल ट्रायंगल (Symmetrical Triangle): इस पैटर्न में कीमतें एक संकरी होती हुई रेंज में चलती हैं, जहाँ ऊपरी और निचली ट्रेंडलाइन्स एक-दूसरे की ओर झुकती हैं।
- फ्लैग (Flag): फ्लैग पैटर्न में कीमतें एक छोटे और संकरी रेंज में होती हैं, जो एक बड़े ट्रेंड के बाद आती हैं। यह पैटर्न अक्सर ट्रेंड कंटिन्यूएशन का संकेत देता है।
- पेनेंट (Pennant): पेनेंट पैटर्न फ्लैग की तरह ही होता है, लेकिन इसमें ट्रेंडलाइन्स कंवर्ज होती हैं, जिससे एक त्रिकोणीय आकार बनता है।
स्टॉक मार्केट में कंसोलिडेशन चार प्रकार से होता है इन चारों को इन नाम से जाना जाता है |
- Ascending Consolidation (आरोही कन्सोलिडेशन)
- Descending consolidation (अवरोही कन्सोलिडेशन)
- Symmetrical Consolidation (सममित कन्सोलिडेशन)
- Rectangular consolidation (आयताकार कन्सोलिडेशन)
Ascending Consolidation आरोही कन्सोलिडेशन
जब मार्केट कंसोलिडेटेड करती है या मार्केट कंसोलिडेस फेज में होती है तो उसे समय मार्केट का High (H1 H2 H3 H4) एक ही लेवल पर स्थिर रहता है और Low (L1 L2 L3) पहले वाले Low से थोड़ा ऊपर चला जाता है मैंने आपको पिक्चर मेंअच्छे से समझाया है आप उसे देख सकते हैं | ऐसे में मार्केट एक ट्रेड लाइन के सहारे ऊपर बढ़ती हुई दिखाई देती है तो हम इस कंसोलिडेशन को आरोही कन्सोलिडेशन (Ascending Consolidation) कहते हैं |
ऐसे कंसोलिडेशन में आपको मार्केट बुलिशनेस (Bulls) दिखता है की मार्केट ऊपर की तरफ ही जाएगा इस तरह के कंसोलिडेशन फेज में मार्केट अपने रेजिडेंस लेवल को तोड़कर ऊपर ही जाएगा यहां पर आपको कभी भी Bearish Trade नहीं लेनी है क्योंकि यहां पर मार्केट में बायर (Buyers) सेलर (Sellers) पर हावी हो जाते हैं बायर और सेलर की लड़ाई में बायर जीत जाते हैं और मार्केट को ऊपर भगाकर ले जाते हैं | डबल बॉटम पैटर्न
Descending consolidation अवरोही कन्सोलिडेशन
अवरोही कन्सोलिडेशन ठीक उसी प्रकार से आरोही कन्सोलिडेशन का उल्टा होता है यहां पर मार्केट अपने सपोर्ट लेवल (L1 L2 L3) को स्थिर रखता है और अपने रेजिडेंस लेवल (H1 H2 H3) को ट्रेंड लाइन के सहारे नीचे की तरफ लेकर आता होता है जैसे-जैसे मार्केट अपने रेजिडेंस लेवल को नीचे शिफ्ट करता रहेगा और अपने सपोर्ट लेवल को बरकरार रखेगा तो एक त्रिभुज के आकार दिखाई देने लग जाएगा यहां पर जैसे ही मार्केट अपने सपोर्ट लेवल को ब्रेक करेगा और रिसेट करेगा तो मार्केट में एकदम से बहुत बड़ी-बड़ी कैंडल बनने लगेगी |
जब भी इस प्रकार का पैटर्न लाइव मार्केट में चार्ट पर बनता है तो मार्केट इस पैटर्न में ब्रेकडाउन करता है इस पैटर्न में Sellers Buyers पर हावी हो जाते हैं buyers and sellers की लड़ाई में सेलर जीत जाते हैं और मार्केट को एकदम से बहुत नीचे ले जाते हैं इस पैटर्न में कभी भी आपको Bullish ट्रेड नहीं लेनी है |
Symmetrical Consolidation सममित कन्सोलिडेशन
जब मार्केट कंसोलिडेशन फेज में होती है और उसे समय मार्केट अपने लोअर लो (L1 L2 L3) और हायर हाई (H1 H2 H3) को कम करती हुई आगे बढ़ती है उस समय लाइव मार्केट में सपोर्ट लेवल पर ट्रेड लाइन बनती है और रेजिडेंस लेवल पर ट्रेड लाइन बनती है उस समय आपको चार्ट पर एक त्रिभुज के आकार में मार्केट दिखाई देने लगती है |
जैसे-जैसे मार्केट समय लेती है ठीक उसी प्रकार से मार्केट सिकुड़ती हुई जाती है इस प्रकार से बने हुए कन्सोलिडेशन को Symmetrical Consolidation सममित कन्सोलिडेशन कहते हैं |
ऐसी स्थिति में मार्केट में बायर और सेलर एक दूसरे पर बहुत ज्यादा हावी रहते हैं यहां पर आपको ट्रेड लेने में जल्द बाजी नहीं करनी है जब तक मार्केट बिल्कुल न्यूट्रल ना हो जाए और आपको किसी प्रकार की कन्फर्मेशन ना मिले तब तक आपके यहां पर ट्रेड लेने से बचाना है कंफर्मेशन मिलने के बाद ही ट्रेड लेना है |
यहां पर आपको मार्केट का ट्रेंड पता होना चाहिए क्योंकि मार्केट जीस ट्रेंड में चल रही है इस ट्रेंड को इस कंसोलिडेशन के बाद कंटिन्यू करेगी अगर मार्केट बुलइस है तो आपको इस कंसीडरेशन के न्यूट्रल होने के बाद बुलइस trade लेनी है और अगर मार्केट बेअर्स है तो इस कंसोलिडेशन के बाद आपको मार्केट में बेअर्स ट्रेड लेनी है |
Rectangular consolidation आयताकार कन्सोलिडेशन
मार्केट में यह कन्सोलिडेशन एक सपोर्ट लेवल और रेजिडेंस लेवल के बीच में होता है यहां पर किसी भी प्रकार की ट्रेंड लाइन नहीं बनती मार्केट एक आयत कर बॉक्स में ही चलती रहती है और समय बिताती है यहां पर सेलर मार्केट को रेजिडेंस लेवल पर बेच देते हैं और बायर मार्केट को सपोर्ट लेवल पर खरीदते हैं इस प्रकार के consolidation को Rectangular consolidation आयताकार कन्सोलिडेशन कहते हैं |
यहां पर बायर और सेलर अपने-अपने लेवल का इंतजार करते हैं जैसे ही मार्केट सपोर्ट पर आती है तो बायर खरीदती हैं और जैसे ही मार्केट रेजिडेंस पर जाती है तो सेलर बेच देते हैं अगर आप यहां पर ट्रेड करना चाहतो आप सपोर्ट लेवल पर ट्रेड कर सकते हैं जब मार्केट इस लेवल से बाहर निकलती है और रिसेट करती है तब आप ट्रेड लगे तो अच्छा फायदा होगा |
कंसोलिडेशन पैटर्न में ब्रेकआउट कैसे होता है?
कंसोलिडेशन पैटर्न में ब्रेकआउट तब होता है जब कीमतें सीमित दायरे (Range) से बाहर निकलती हैं और एक नई दिशा में मूवमेंट शुरू करती हैं। यह ब्रेकआउट या तो ऊपर की ओर (बुलिश) या नीचे की ओर (बियरिश) हो सकता है।
1. कंसोलिडेशन चरण:
कंसोलिडेशन पैटर्न उस समय बनता है जब बाजार में कोई स्पष्ट ट्रेंड नहीं होता और कीमतें एक निश्चित रेंज में सीमित रहती हैं। इस दौरान, सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्तरों के बीच कीमतें ऊपर-नीचे होती रहती हैं। बाजार में खरीदार और विक्रेता दोनों के बीच संघर्ष होता है, लेकिन कोई भी पक्ष निर्णायक नियंत्रण हासिल नहीं कर पाता।
2. वॉल्यूम का विश्लेषण:
ब्रेकआउट के समय वॉल्यूम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कंसोलिडेशन के दौरान वॉल्यूम सामान्यतः कम रहता है, क्योंकि निवेशक और ट्रेडर्स अगली दिशा का इंतजार कर रहे होते हैं। जब ब्रेकआउट होता है, तो वॉल्यूम में तेज़ी से वृद्धि होती है, जो संकेत देता है कि बाजार में एक नई दिशा में गति आने वाली है।
3. ब्रेकआउट का प्रकार:
- बुलिश ब्रेकआउट:
जब कीमतें रेजिस्टेंस स्तर को तोड़कर ऊपर जाती हैं, तो इसे बुलिश ब्रेकआउट कहा जाता है। इस स्थिति में, बाजार में तेजी की संभावना होती है और खरीदार बाजार पर नियंत्रण हासिल कर लेते हैं। बुलिश ब्रेकआउट के बाद कीमतें आमतौर पर और अधिक बढ़ सकती हैं। - बियरिश ब्रेकडाउन:
जब कीमतें सपोर्ट स्तर को तोड़कर नीचे जाती हैं, तो इसे बियरिश ब्रेकडाउन कहा जाता है। इस स्थिति में, बाजार में गिरावट की संभावना होती है और विक्रेता बाजार पर हावी हो जाते हैं। बियरिश ब्रेकडाउन के बाद कीमतों में और गिरावट देखी जा सकती है।
4. ब्रेकआउट की पुष्टि (Confirmation):
ब्रेकआउट के बाद, आपको एक कंफर्मेशन का इंतजार करना चाहिए। यह कंफर्मेशन तब मिलता है जब ब्रेकआउट के बाद अगली एक या दो कैंडल्स उसी दिशा में मूव करती हैं। बिना कंफर्मेशन के ब्रेकआउट में ट्रेडिंग करना जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि कभी-कभी फेक ब्रेकआउट भी हो सकते हैं, जिनमें कीमतें अस्थायी रूप से रेंज से बाहर निकलती हैं लेकिन फिर वापस लौट आती हैं।
5. स्टॉप लॉस और टार्गेट सेट करना:
ब्रेकआउट के बाद ट्रेडिंग करते समय, स्टॉप लॉस सेट करना महत्वपूर्ण है। अगर आपने बुलिश ब्रेकआउट में ट्रेड लिया है, तो स्टॉप लॉस को रेजिस्टेंस के ठीक नीचे सेट करें। इसी तरह, अगर आपने बियरिश ब्रेकडाउन में ट्रेड लिया है, तो स्टॉप लॉस को सपोर्ट के ठीक ऊपर सेट करें।
टार्गेट सेट करने के लिए, कंसोलिडेशन रेंज की ऊँचाई को मापें और उसे ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन के बिंदु से जोड़ें। यह आपका संभावित टार्गेट होगा।
ब्रेकआउट का महत्व
- ट्रेंड कंटिन्यूएशन या रिवर्सल: ब्रेकआउट के बाद, बाजार या तो मौजूदा ट्रेंड को जारी रख सकता है या एक नए ट्रेंड की शुरुआत कर सकता है। इसलिए, इसे सही ढंग से पहचानना महत्वपूर्ण होता है।
- मजबूत मूवमेंट की संभावना: कंसोलिडेशन के बाद ब्रेकआउट में अक्सर एक मजबूत मूवमेंट होता है, क्योंकि बाजार में लंबे समय तक ऊर्जा संचित होती है जो ब्रेकआउट के समय रिलीज होती है।
- बाजार की दिशा का संकेत: ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन बाजार की संभावित दिशा का स्पष्ट संकेत देता है, जिससे ट्रेडर्स समय पर सही निर्णय ले सकते हैं।
Consolidation Market Ke Hidden Truth
स्टॉक मार्केट के चार्ट पर जब भी कोई शेयर का प्राइस कंसोलिडेटेड हो रहा होता है तो वह कोई ना कोई कारण जनरेट कर रहा होता है दोस्तों मान लीजिए इसमें फेक कारण क्या है मैं आपको बताता हूं जैसे चार्ट पर शेयर कंसोलिडेटेड कर रहा है समय ले रहा है और आपको लगता है ऊपर जाने वाला है उसे समय एकदम से शेयर का प्राइस ऊपर जाती है तब शेयर में Buyers एकदम से खरीदारी करते हैं
और मार्केट अपना हायर हाय तोड़ देती है और उसके बाद मार्केट ऊपर नहीं जा पाती है क्योंकि यहां पर जीतने Buyers आने थे सब आ गए हैं उसके बाद एकदम से मार्केट नीचे की तरफ पलटेगी तो नहीं रुकेगी पूरी नीचे तक जाएगी |
मेरे कहने का मतलब है आपको हमेशा ट्रेड लेने से पहले वॉल्यूम देखना चाहिए क्योंकि वॉल्यूम से आपको पूरी जानकारी मिल जाती है की मार्केट में Buyers कितने हैं और सेलर कितने हैं अगर मार्केट में Buyers ज्यादा होंगे तो मार्केट को ऊपर ले जाएंगे और मार्केट में अचानक से सेलर आएंगे तो मार्केट को नीचे गिरा देंगे |
Consolidation Market में Trade कैसे करें
कंसोलिडेटेड मार्केट में ट्रेड करना धैर्य का काम है यहां पर आपको किसी भी प्रकार की जल्द बाजी नुकसान करवा सकती है इसलिए इस पैटर्न कोअपने दिमाग में कंप्लीट मत करिए आपको इस पैटर्न को मार्केट के चार्ट पर कंप्लीट होने देना है
और उसके बाद एक कंफर्मेशन कैंडल बनने के बाद या फिर ब्रेक आउट या ब्रेकडाउन होने के बाद ही रिटेस्ट होने पर आपको ट्रेड करना है मैं आपको यहां पर कंसोलिडेटेड मार्केट में ट्रेड करने के तीन तरीके बताने वाला हूं आप अपने माइंडसेट को सेट करके और पूरी कंफर्मेशन के बाद ही यहां पर ट्रेड करें |
- कन्सोलिडेशन पैटर्न में सपोर्ट तथा रेजिस्टेंस के आधार पर Trade करें
- कन्सोलिडेशन पैटर्न के ब्रेकआउट पर Trade करें
- कन्सोलिडेशन पैटर्न के ब्रेकडाउन पर Trade करें
कंसोलिडेटेड मार्केट के बाद ही ज्यादातर Trap होता है आपको चार्ट में दिखाया जाता है कि मार्केट में सपोर्ट लेवल या रेजिडेंस लेवल को तोड़ दिया है और आप सोचते हो की मार्केट कंसोलिडेटेड फेज से बाहर आ चुकी है और मोमेंटम स्टार्ट हो चुका है आप वहां पर जल्दबाजी में ट्रेड ले लेते हो तब मार्केट पलट जाती है और मार्केट आपको लॉस दे देती है |
इसलिए आपको हमेशा मार्केट के ट्रेंड को फॉलो करना है आपने यह कहावत जरूर सुनी होगी ट्रेन इस योर फ्रेंड ट्रेड करने से पहले आपको मार्केट का ट्रेंड पता करना है की मार्केट Market Bulles है या फिर Market Bears है आपको उसी के हिसाब से ट्रेड करना है |
कंसोलिडेशन और ब्रेकआउट के बाद ट्रेडिंग
कंसोलिडेशन के बाद ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन का इंतजार करना एक मजबूत ट्रेडिंग रणनीति हो सकती है। लेकिन इसके लिए सही समय पर निर्णय लेना जरूरी है। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:
- कंफर्मेशन का इंतजार करें: ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन के बाद तुरंत ट्रेड में प्रवेश न करें। कंफर्मेशन के लिए अगली एक या दो कैंडल्स का इंतजार करें, ताकि आप फेक ब्रेकआउट्स से बच सकें।
- वॉल्यूम का विश्लेषण करें: अगर ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन के समय वॉल्यूम बढ़ता है, तो यह संकेत होता है कि मूवमेंट सशक्त है और ट्रेंड जारी रह सकता है।
- स्टॉप लॉस और टार्गेट सेट करें: स्टॉप लॉस सेट करना जरूरी है, ताकि अगर बाजार आपके विपरीत दिशा में जाता है, तो आपका नुकसान सीमित रहे। टार्गेट सेट करना भी महत्वपूर्ण है, ताकि आप समय पर मुनाफा बुक कर सकें।
कन्सोलिडेशन पैटर्न में सपोर्ट तथा रेजिस्टेंस के आधार पर Trade करें
कंसोलिडेटेड मार्केट में सपोर्ट और रेजिडेंस को ट्रेड करने के लिए सबसे पहले आपको मार्केट के चार्ट पर होरिजेंटल लाइन से मार्केट का सपोर्ट लेवल और मार्केट का रेजिडेंस लेवल मार्क कर लेना है अब जैसे ही मार्केट सपोर्ट लेवल पर आती है तो आपको एक बुलिश कैंडल (Bulls Price Action) कैंडल कंफर्मेशन देखना है और मार्केट में Buy बाय कर लेना है जब मार्केट रेजिडेंस लेवल पर पहुंचेगी तो आपको वहां पर मार्केट को Sell कर देना है और अपना लाभ या फायदा बुक कर लेना है |
कन्सोलिडेशन पैटर्न के ब्रेकआउट पर Trade करें
जब मार्केट या शेयर कंसोलिडेटेड फेस में ट्रेड कर रहा होता है और जब वह सपोर्ट लेवल पर पहुंचता है तो वहां पर इनसाइडर को उसका इंट्रेंसिक वैल्यू (Price) वास्तविक कीमत बहुत कम लगता है इस वजह से वह बहुत ज्यादा क्वांटिटी में मार्केट को या शेर को वहां पर खरीद लेता है ज्यादा क्वांटिटी में खरीदने के कारण मार्केट अपना रेजिडेंस लेवल तोड़ देती है
और रेजिडेंस लेवल के ऊपर एक बुलिश कैंडल क्लोज होती है अब जैसे ही बुलिश कैंडल कंसोलिडेटेड फेस से ऊपर क्लोजिंग देती है तो उसे समय सभी का मानना होता है कि अब मार्केट ऊपर भागने को तैयार है इसके बाद जैसे ही अगली कैंडल बुलिश कैंडल का High ब्रेक करें तब आपको इंट्री बनानी है |
अब यहां पर नए Buyers आएंगे और मार्केट को ऊपर लेते चले जाएंगे जिसमें आपको अच्छा खासा प्रॉफिट होगा |
कन्सोलिडेशन पैटर्न के ब्रेकडाउन पर Trade करें
जब मार्केट या शेयर कंसोलिडेटेड फेस में ट्रेड कर रहा होता है और जब वह सपोर्ट लेवल पर पहुंचता है शेयर में कोई ख़राब न्यूज या कोई फंडामेंटल खराबी आ जाय तो वहां पर इनसाइडर मार्केट या शेर को बहुत बड़ी क्वांटिटी में बेच देते हैं यहां पर मार्केट में डिमांड नहीं आ पाती सप्लाई ज्यादा आ जाती है जिस वजह से मार्केट में एकदम से गिरावट आ जाती है |
यहां पर मार्केट अपने सपोर्ट लेवल को एक अच्छी बेयरिश किंडल से ब्रेकडाउन देती है मार्केट अपने सपोर्ट लेवल के नीचे एक बेयरिश किंडल क्लोज करती है तब यहां पर सभी मानते हैं कि अब मार्केट में बहुत ज्यादा मंदी आने वाली है |
यहां पर आपको ध्यान रखना है जैसे ही अगले कैंडल ब्रेकडाउन वाले कैंडल का Low ब्रेक करती है तो आपको वहां पर एंट्री बनानी है यहां पर आपको अच्छा खासा प्रॉफिट होगा |
कंसोलिडेशन चार्ट पैटर्न में टार्गेट कहाँ लगाये
एक समझदार और प्रो ट्रेडर की यह निशानी होती है कि वह मार्केट में इंटर करने से पहले अपना टारगेट निर्धारित कर लेता है और अपने बनाए गए रूल का पालन करता है जब आप उसका टारगेट हिट होता है तो वह उसी टाइम मार्केट से एग्जिट हो जाता है और वह ज्यादा लालच नहीं करता चाहे उसके बाद मार्केट कितनी भी ऊपर चली जाए |
ट्रेडर हमेशा मार्केट में इंटर करने से पहले टेक्निकल एनालिसिस करता है और उसकी मदद से अपना टारगेट निर्धारित करता है हमेशा आपको अपने स्टॉपलॉस का 3 गुना टारगेट लेकर चलना चाहिए अगर आप ₹1 का स्टॉपलॉस दे रहे हो तो कम से कम मार्केट से आपको ₹3 लेने होंगे इसलिएआप यहां पर 1:3 का टारगेट लगा सकते हैं |
कंसोलिडेशन चार्ट पैटर्न में स्टॉप लॉस कहाँ लगाये
स्टॉक मार्केट में किसी भी ट्रेडर को बड़े नुकसान से बचाने में स्टॉप लॉस बहुत बड़ी अहमियत निभाता है इसलिए हमेंसां जब भी आपको ट्रेड करें तो उसका सिस्टम पर स्टॉपलॉस अवश्य लगा कर चलें ताकि आपको बड़ा नुकसान होने से आप बच सके |
एक सक्सेसफुल ट्रेडर की यह निशानी है कि वह ट्रेड लेने से पहले अपना स्टॉप लॉस डिसाइड कर लेता है इसलिए आप कंसोलिडेटेड पैटर्न को ट्रेड करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको सबसे पहले अपना स्टॉप लॉस डिसाइड करना होगा उसके बाद आपको ट्रेड लेना होगा |
कंसोलिडेटेड चार्ट पेटर्न का ट्रेड करने के लिए हमेशा Consolidation Chart Pattern के ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन कैंडल के लो Low या हाई High का लगते हैं |
कंसोलिडेशन पैटर्न के फायदे और सीमाएँ
फायदे:
- मजबूत ब्रेकआउट का संकेत: कंसोलिडेशन के बाद, ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन में अक्सर एक बड़ा मूवमेंट होता है, जिससे आपको अच्छा मुनाफा मिल सकता है।
- रेंज ट्रेडिंग के अवसर: जब बाजार सीमित रेंज में हो, तो सपोर्ट और रेजिस्टेंस के बीच ट्रेडिंग करना एक सुरक्षित रणनीति हो सकती है।
- स्पष्ट संकेत: कंसोलिडेशन पैटर्न से यह पता चलता है कि बाजार किसी निर्णायक दिशा में मूवमेंट की तैयारी कर रहा है। इसका सही ढंग से विश्लेषण करके, आप संभावित ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन का पूर्वानुमान लगा सकते हैं।
- लचीलापन: कंसोलिडेशन पैटर्न विभिन्न समयावधियों में काम करता है। आप इसे शॉर्ट-टर्म, मिड-टर्म या लॉन्ग-टर्म चार्ट्स में उपयोग कर सकते हैं, जिससे यह पैटर्न सभी प्रकार के ट्रेडर्स के लिए उपयोगी होता है।
सीमाएँ:
- फेक ब्रेकआउट: कंसोलिडेशन पैटर्न में सबसे बड़ी चुनौती फेक ब्रेकआउट्स होती हैं। कई बार कीमतें रेजिस्टेंस को तोड़कर ऊपर जाती हैं, लेकिन यह मूवमेंट टिकाऊ नहीं होता और कीमतें वापस आ जाती हैं। इससे ट्रेडर्स को नुकसान हो सकता है।
- लंबा कंसोलिडेशन: कभी-कभी कंसोलिडेशन का दौर बहुत लंबा हो सकता है, जिससे ट्रेडर्स को अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है और उनके पास निर्णय लेने में कठिनाई होती है।
- स्पष्ट ट्रेंड का अभाव: कंसोलिडेशन के दौरान बाजार में कोई स्पष्ट ट्रेंड नहीं होता, जिससे नए निवेशकों के लिए इसे पहचानना और इसके आधार पर ट्रेडिंग करना मुश्किल हो सकता है।
कंसोलिडेशन पैटर्न में ट्रेडिंग करते समय सावधानियाँ
- कंफर्मेशन का इंतजार करें: जैसा कि पहले बताया गया, ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन के बाद कंफर्मेशन का इंतजार करना बेहद जरूरी है। बिना कंफर्मेशन के ट्रेड में प्रवेश करने से आप फेक मूवमेंट का शिकार हो सकते हैं।
- वॉल्यूम का ध्यान रखें: वॉल्यूम का विश्लेषण कंसोलिडेशन के दौरान महत्वपूर्ण होता है। उच्च वॉल्यूम के साथ ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन होने पर मूवमेंट ज्यादा विश्वसनीय होता है।
- स्टॉप लॉस का उपयोग: कंसोलिडेशन के बाद अचानक होने वाले बड़े मूवमेंट्स के दौरान स्टॉप लॉस का उपयोग अनिवार्य है। यह आपको अनावश्यक नुकसान से बचाएगा।
- सपोर्ट और रेजिस्टेंस का विश्लेषण: कंसोलिडेशन पैटर्न में सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्तर प्रमुख होते हैं। इन स्तरों का सही ढंग से विश्लेषण करना जरूरी है ताकि आप सही एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स का चयन कर सकें।
- अन्य संकेतकों के साथ उपयोग करें: कंसोलिडेशन पैटर्न का उपयोग अन्य तकनीकी संकेतकों जैसे RSI, MACD, और मूविंग एवरेज के साथ मिलाकर करें। इससे आपके ट्रेडिंग संकेत और अधिक सटीक हो जाएंगे।
कंसोलिडेशन पैटर्न का अभ्यास कैसे करें?
- पेपर ट्रेडिंग: कंसोलिडेशन पैटर्न का अभ्यास करने के लिए पेपर ट्रेडिंग का सहारा लें। इससे आप वास्तविक पैसे का जोखिम उठाए बिना इसे समझ सकते हैं और अपनी रणनीति को बेहतर बना सकते हैं।
- बैकटेस्टिंग: आप पिछले डेटा का उपयोग करके कंसोलिडेशन पैटर्न की बैकटेस्टिंग कर सकते हैं। इससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि अतीत में इस पैटर्न ने कैसे काम किया और आप इसे भविष्य में कैसे उपयोग कर सकते हैं।
- चार्ट्स का विश्लेषण: विभिन्न वित्तीय साधनों (स्टॉक्स, फॉरेक्स, कमोडिटी) के चार्ट्स का अध्ययन करें और देखें कि कंसोलिडेशन पैटर्न कहाँ बनता है। इससे आपको इस पैटर्न की वास्तविक समय में पहचान करने की आदत पड़ जाएगी।
कंसोलिडेशन पैटर्न का उपयोग किस प्रकार के निवेशकों के लिए उपयोगी है?
- स्विंग ट्रेडर्स: कंसोलिडेशन पैटर्न स्विंग ट्रेडर्स के लिए आदर्श है। वे इस पैटर्न का उपयोग करके संभावित ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन का लाभ उठा सकते हैं और शॉर्ट-टर्म मुनाफा कमा सकते हैं।
- इंट्राडे ट्रेडर्स: इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान भी कंसोलिडेशन पैटर्न उपयोगी हो सकता है। इंट्राडे ट्रेडर्स इसे छोटी समयावधि के चार्ट्स पर देख सकते हैं और दिन के भीतर अवसरों का लाभ उठा सकते हैं।
- लॉन्ग-टर्म निवेशक: लॉन्ग-टर्म निवेशक इस पैटर्न का उपयोग करके यह समझ सकते हैं कि कब बड़े मूवमेंट की संभावना है और उसके अनुसार अपनी पोजीशन को एडजस्ट कर सकते हैं।
निष्कर्ष
कंसोलिडेशन चार्ट पैटर्न तकनीकी विश्लेषण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो बाजार में संभावित ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन का संकेत देता है। यह पैटर्न निवेशकों और ट्रेडर्स को उन समयावधियों की पहचान करने में मदद करता है, जब बाजार में कोई स्पष्ट दिशा नहीं होती और कीमतें सीमित दायरे में घूमती हैं।
इस पैटर्न का सही ढंग से उपयोग करके आप संभावित मूवमेंट्स का लाभ उठा सकते हैं और अपने ट्रेडिंग निर्णयों को अधिक सटीक बना सकते हैं। कंसोलिडेशन पैटर्न में प्रवेश करने से पहले कंफर्मेशन, वॉल्यूम, और अन्य तकनीकी संकेतकों का उपयोग करना जरूरी होता है ताकि आप फेक ब्रेकआउट्स और ब्रेकडाउन से बच सकें।
यदि आप इस पैटर्न का नियमित अभ्यास करते हैं और इसे अपनी ट्रेडिंग रणनीति में शामिल करते हैं, तो आप बाजार की अनिश्चितताओं का सामना बेहतर तरीके से कर पाएंगे और अधिक मुनाफा कमा सकेंगे।
आपकी ट्रेडिंग यात्रा में सफलता की शुभकामनाएँ!