Candlestick Chart Full Detail In Hindi कैंडलस्टिक चार्ट

Candlestick Chart Full Detail In Hindi कैंडलस्टिक चार्ट दोस्तों जब भी हम शेयर बाजार, फॉरेक्स, कमोडिटी, या क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग की बात करते हैं, तो तकनीकी विश्लेषण (Technical Analysis) का महत्व बहुत बढ़ जाता है। तकनीकी विश्लेषण में चार्ट्स का अध्ययन करना अनिवार्य होता है, और चार्ट्स में सबसे लोकप्रिय और प्रभावी टूल है कैंडलस्टिक चार्ट

कैंडलस्टिक चार्ट न केवल शेयर बाजार के रुझानों को समझने में मदद करता है, बल्कि यह निवेशकों और ट्रेडर्स को बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच संभावित ट्रेडिंग निर्णय लेने में सहायता करता है। इस लेख में हम कैंडलस्टिक चार्ट के बारे में विस्तार से जानेंगे, इसके पैटर्न्स, संरचना, उपयोग और इसके पीछे की सायकोलॉजी पर चर्चा करेंगे।

दोस्तों कैंडलेस्टिक चार्ट और कैंडलेस्टिक को अच्छे से समझने के लिए आपको इस पोस्ट को अंत तक पढ़ना होगा तभी जाकर आपको पूरी जानकारी आएगी और आप आसानी से शेयर मार्केट के चार्ट में इन कैंडल्स को पहचान पाओगे और अपने ट्रेडिंग को एक बेहतर मुकाम तक पहुंच पाओगे इसके साथ ही दोस्तों अगर आप इन सभी कैंडल्स को अच्छे से समझ लेते हैं तो आपको ट्रेडिंग बहुत आसान लगने लग जाएगी तो चलिए शुरू करते हैं

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कैंडलस्टिक चार्ट क्या है?

कैंडलस्टिक चार्ट एक प्रकार का वित्तीय चार्ट होता है जो किसी निश्चित समयावधि में किसी वित्तीय साधन (स्टॉक, कमोडिटी, क्रिप्टो आदि) की कीमत की गतिविधियों को दर्शाता है। हर कैंडल एक निश्चित अवधि के दौरान की ओपन, क्लोज़, हाई और लो प्राइस की जानकारी देती है।

कैंडलस्टिक चार्ट का उपयोग 18वीं सदी में जापान में किया जाने लगा था, और इसे आधुनिक तकनीकी विश्लेषण (Technical Analysis) का हिस्सा बनाने का श्रेय “स्टीव निसन” को जाता है, जिन्होंने इसे पश्चिमी दुनिया में लोकप्रिय बनाया।

कैंडलस्टिक चार्ट का इतिहास

कैंडलस्टिक चार्ट की उत्पत्ति जापान में हुई थी। 18वीं शताब्दी में जापान के चावल व्यापारियों ने इसे विकसित किया। कैंडलस्टिक चार्ट का उपयोग सबसे पहले “होमा मुनिहिसा” नामक जापानी व्यापारी ने किया था। उन्होंने देखा कि बाजार की कीमतों में उतार-चढ़ाव सिर्फ मांग और आपूर्ति पर निर्भर नहीं करता, बल्कि इसमें ट्रेडर्स की भावनाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है।

इस चार्ट को पश्चिमी दुनिया में लोकप्रिय बनाने का श्रेय “स्टीव निसन” को जाता है, जिन्होंने इसे अपनी किताब “Japanese Candlestick Charting Techniques” के माध्यम से दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। कैंडलस्टिक चार्ट अब तकनीकी विश्लेषण का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है और इसका उपयोग दुनिया भर के निवेशक और ट्रेडर्स करते हैं।

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कैंडलस्टिक की संरचना

दोस्तों जब किसी भी Share की चार्ट में कैंडल्स का निर्माण होता है तो वह कुछ इस प्रकार से दिखाई देती है आपको हर कैंडल को उसके बनावट के आधार पर देखकर ही समझना है क्योंकि हर कैंडल जब बनती है तो उसमें बहुत सारे फैक्टर काम करते हैं |

कोई लाल कैंडल तो कोई हरि कैंडल होती है |

कोई छोटी कैंडल तो कोई लंबी बड़ी कैंडल होती है |

किसी कैंडल की बॉडी छोटी तो किसी कैंडल की बॉडी बड़ी होती है |

किसी कैंडल की पूंछ (Wick) बड़ी होती है तो किसी कैंडल की पूंछ छोटी होती है | 

किसी कैंडल में पूछ (Wick) न के बराबर होती है तो किसी कैंडल में बॉडी न के बराबर होती है | 

सभी कैंडल्स का अलग-अलग होना अलग-अलग आंकड़े को दर्शाता है |

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कैंडलस्टिक चार्ट की संरचना चार प्रमुख तत्वों से मिलकर बनती है:

  1. बॉडी (Body): यह कैंडल का मुख्य हिस्सा होता है, जो उस अवधि के ओपन और क्लोज़ प्राइस के बीच के अंतर को दर्शाता है। बॉडी हरी (बुलिश) या लाल (बियरिश) हो सकती है।
    • हरी बॉडी: अगर क्लोज़ प्राइस ओपन प्राइस से अधिक होती है, तो कैंडल हरी या सफेद होती है, जिसे बुलिश कैंडल कहते हैं।
    • लाल बॉडी: अगर क्लोज़ प्राइस ओपन प्राइस से कम होती है, तो कैंडल लाल या काली होती है, जिसे बियरिश कैंडल कहते हैं।
  2. विक (Wick) या शैडो (Shadow): कैंडल के ऊपर और नीचे की पतली रेखाएँ, जिन्हें विक या शैडो कहा जाता है, दिन की उच्चतम (High) और न्यूनतम (Low) कीमतों को दर्शाती हैं।
  3. हाई (High): विक का ऊपरी हिस्सा उस अवधि की उच्चतम कीमत को दिखाता है।
  4. लो (Low): विक का निचला हिस्सा उस अवधि की न्यूनतम कीमत को दर्शाता है।

Stock Market Charts: चार्ट कितने प्रकार के होते हैं?

शेयर बाजार में चार्ट्स के कई प्रकार होते हैं, जो बाजार की गतिविधियों को अलग-अलग तरीकों से दर्शाते हैं। प्रमुख चार्ट्स में शामिल हैं:

  1. लाइन चार्ट (Line Chart): यह सबसे सरल चार्ट होता है, जो केवल क्लोज़ प्राइस को जोड़कर एक लाइन बनाता है। यह चार्ट बाजार की समग्र दिशा को दिखाने के लिए उपयोगी होता है।
  2. बार चार्ट (Bar Chart): यह चार्ट ओपन, हाई, लो, और क्लोज़ प्राइस को दर्शाता है। यह चार्ट कैंडलस्टिक चार्ट का ही एक सरल रूप होता है, लेकिन इसमें रंगों का उपयोग नहीं होता।
  3. कैंडलस्टिक चार्ट (Candlestick Chart): यह चार्ट सबसे अधिक उपयोग किया जाता है क्योंकि यह न केवल ओपन, हाई, लो, और क्लोज़ प्राइस को दिखाता है, बल्कि रंगों के माध्यम से बाजार के मूड और ट्रेंड्स को भी दर्शाता है।
  4. रेनको चार्ट (Renko Chart): यह चार्ट केवल प्राइस मूवमेंट पर ध्यान केंद्रित करता है और समयावधि का उपयोग नहीं करता। यह बाजार की स्पष्ट दिशा को समझने के लिए उपयोगी होता है।
  5. हाइकन आशी चार्ट (Heikin Ashi Chart): यह कैंडलस्टिक चार्ट का ही एक प्रकार होता है, लेकिन इसमें कैंडल्स का निर्माण औसत मूल्य के आधार पर होता है, जिससे ट्रेंड को समझना आसान हो जाता है।
  6. डॉट चार्ट (Dot Chart) विभिन्न समयावधियों में क्लोजिंग प्राइस को बिंदुओं के रूप में दर्शाता है। यह सरल लेकिन प्रभावी चार्ट है, जो ट्रेंड्स को समझने में मदद करता है।
  7. एरिया चार्ट (Area Chart) लाइन चार्ट का ही एक विस्तृत संस्करण होता है, जिसमें क्लोजिंग प्राइस के नीचे का क्षेत्र रंगीन होता है। यह बाजार की दिशा और प्रवृत्ति को दर्शाता है।
  8. लाइन ब्रेक चार्ट (Line Break Chart) कीमतों में लगातार बदलाव को दर्शाता है और इसमें समय का महत्व नहीं होता। इसमें लगातार तीन लाइनों के आधार पर बाजार की दिशा बदलती है।
  9. केजी चार्ट (Kagi Chart) भी प्राइस मूवमेंट पर आधारित होता है और समय का ध्यान नहीं रखता। इसमें कीमत में बदलाव के अनुसार लाइनों की मोटाई बदलती है। यह चार्ट सपोर्ट और रेसिस्टेंस को पहचानने में मदद करता है।
  10. पॉइंट एंड फिगर चार्ट (Point and Figure Chart) भी केवल प्राइस मूवमेंट पर ध्यान केंद्रित करता है और समयावधि को नजरअंदाज करता है। इसमें ‘X’ और ‘O’ का उपयोग होता है जो कीमतों के उतार-चढ़ाव को दर्शाते हैं।

कैंडलस्टिक चार्ट के प्रकार

कैंडलस्टिक चार्ट में विभिन्न प्रकार की कैंडल्स होती हैं, जो अलग-अलग बाजार स्थितियों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इन्हें निम्नलिखित प्रकारों में बांटा जा सकता है:

  1. बुलिश कैंडल (Bullish Candle): यह कैंडल दर्शाती है कि बाजार में खरीदारों का दबाव अधिक है और कीमतें बढ़ रही हैं। बुलिश कैंडल हरे या सफेद रंग की होती है।
  2. बियरिश कैंडल (Bearish Candle): यह कैंडल दर्शाती है कि बाजार में विक्रेताओं का दबाव अधिक है और कीमतें गिर रही हैं। बियरिश कैंडल लाल या काले रंग की होती है।
  3. डोजी (Doji): यह कैंडल तब बनती है जब ओपन और क्लोज़ प्राइस लगभग समान हों, जिससे बाजार में अनिश्चितता का संकेत मिलता है। डोजी कैंडल दर्शाती है कि खरीदार और विक्रेता दोनों के बीच संतुलन है।
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कैंडलस्टिक पैटर्न्स

कैंडलस्टिक पैटर्न्स बाजार की दिशा और संभावित रिवर्सल (बदलाव) का संकेत देते हैं। इन्हें मुख्यतः दो प्रकारों में बांटा जा सकता है:

  1. Single Candlestick Pattern एकल कैंडल स्टिक पैटर्न
  2. Double Candlestick Pattern डबल कैंडल स्टिक पैटर्न
  3. Triple Candlestick Pattern ट्रिपल कैंडल स्टिक पैटर्न

Single Candlestick Pattern (एकल कैंडलस्टिक पैटर्न)

Single Candlestick Patterns एकल कैंडल से बनते हैं और ये बाजार में संभावित रिवर्सल या कंटिन्यूएशन का संकेत दे सकते हैं। ये पैटर्न सरल होते हैं और बाजार के मूवमेंट का जल्दी संकेत देने में मदद करते हैं।

प्रमुख Single Candlestick Patterns:

  1. हैमर (Hammer):
    • Hammer Pattern हैमर एक बुलिश रिवर्सल पैटर्न है, जो डाउनट्रेंड के बाद बनता है। इसमें कैंडल की बॉडी छोटी होती है और निचली विक (shadow) लंबी होती है, जिससे पता चलता है कि विक्रेताओं ने कीमत को नीचे धकेला लेकिन खरीदारों ने बाजार को संभाल लिया।
  2. शूटिंग स्टार (Shooting Star):
    • Shooting Pattern यह एक बियरिश रिवर्सल पैटर्न है, जो अपट्रेंड के बाद बनता है। इसमें छोटी बॉडी और लंबी ऊपरी विक होती है, जो दर्शाती है कि खरीदारों ने कीमतों को ऊपर धकेला लेकिन विक्रेताओं ने उन्हें नीचे ला दिया।
  3. डोजी (Doji):
    • Doji Pattern डोजी एक महत्वपूर्ण पैटर्न है, जिसमें ओपन और क्लोज प्राइस लगभग समान होते हैं। इससे बाजार में अनिश्चितता का संकेत मिलता है। यह रिवर्सल का संकेत भी हो सकता है, खासकर अगर यह एक ट्रेंड के अंत में बनता है।
  4. स्पिनिंग टॉप (Spinning Top):
    • Spinning Top Pattern स्पिनिंग टॉप पैटर्न भी अनिश्चितता का संकेत देता है। इसमें छोटी बॉडी होती है और दोनों ओर विक्स (ऊपरी और निचली) लंबी होती हैं, जिससे पता चलता है कि बाजार में दोनों पक्ष (खरीदार और विक्रेता) बराबरी से संघर्ष कर रहे हैं।

Double Candlestick Pattern (डबल कैंडलस्टिक पैटर्न)

Double Candlestick Patterns दो कैंडल्स से मिलकर बनते हैं और यह पैटर्न बाजार में संभावित रिवर्सल या कंटिन्यूएशन का संकेत देते हैं। ये पैटर्न ट्रेडर्स के लिए महत्वपूर्ण संकेतक होते हैं।

प्रमुख Double Candlestick Patterns:

  1. बुलिश एन्गल्फिंग (Bullish Engulfing):
    • Bullish Engulfing Pattern यह पैटर्न डाउनट्रेंड के बाद बनता है और तेजी की शुरुआत का संकेत देता है। इसमें दूसरी कैंडल (हरी) पहली कैंडल (लाल) को पूरी तरह से ढक लेती है, जिससे संकेत मिलता है कि खरीदारों ने बाजार को संभाल लिया है।
  2. बियरिश एन्गल्फिंग (Bearish Engulfing):
    • Bearish Engulfing Pattern यह पैटर्न अपट्रेंड के बाद बनता है और मंदी की शुरुआत का संकेत देता है। इसमें दूसरी कैंडल (लाल) पहली कैंडल (हरी) को पूरी तरह से ढक लेती है, जिससे पता चलता है कि विक्रेताओं ने बाजार पर नियंत्रण पा लिया है।
  3. पियरसिंग लाइन (Piercing Line):
    • Piercing Line Pattern यह एक बुलिश रिवर्सल पैटर्न है, जो डाउनट्रेंड के बाद बनता है। इसमें दूसरी कैंडल (हरी) पहली कैंडल (लाल) की बॉडी के 50% से अधिक हिस्से को कवर करती है, जिससे तेजी का संकेत मिलता है।
  4. डार्क क्लाउड कवर (Dark Cloud Cover):
    • Dark Cloud Cover Pattern यह एक बियरिश रिवर्सल पैटर्न है, जो अपट्रेंड के बाद बनता है। इसमें दूसरी कैंडल (लाल) पहली कैंडल (हरी) की बॉडी के 50% से अधिक हिस्से को कवर करती है, जिससे मंदी का संकेत मिलता है।
  5. ट्वीज़र टॉप (Tweezer Top):
    • Tweezer Top Pattern यह एक बियरिश रिवर्सल पैटर्न है, जिसमें दो कैंडल्स होती हैं। पहली कैंडल बुलिश होती है और दूसरी बियरिश। दोनों कैंडल्स की ऊपरी विक समान होती हैं, जो दर्शाती हैं कि कीमतें एक निश्चित स्तर पर रुक गई हैं और गिरावट की संभावना है।
  6. ट्वीज़र बॉटम (Tweezer Bottom):
    • Tweezer Bottom Pattern यह एक बुलिश रिवर्सल पैटर्न है, जिसमें दो कैंडल्स होती हैं। पहली कैंडल बियरिश होती है और दूसरी बुलिश। दोनों कैंडल्स की निचली विक समान होती हैं, जो दर्शाती हैं कि कीमतें एक निश्चित स्तर पर रुक गई हैं और तेजी की संभावना है।

Triple Candlestick Pattern (ट्रिपल कैंडलस्टिक पैटर्न)

Triple Candlestick Patterns तीन कैंडल्स से मिलकर बनते हैं और यह पैटर्न बाजार में मजबूत रिवर्सल या कंटिन्यूएशन का संकेत देते हैं। ये पैटर्न अधिक सटीक और विश्वसनीय माने जाते हैं।

प्रमुख Triple Candlestick Patterns:

  1. मॉर्निंग स्टार (Morning Star):
    • Morning Star Pattern यह एक बुलिश रिवर्सल पैटर्न है, जो डाउनट्रेंड के बाद बनता है। इसमें पहली कैंडल लंबी बियरिश होती है, दूसरी कैंडल छोटी (डोजी या स्पिनिंग टॉप) होती है, और तीसरी कैंडल लंबी बुलिश होती है। यह पैटर्न दर्शाता है कि बाजार में तेजी का दौर शुरू हो सकता है।
  2. इवनिंग स्टार (Evening Star):
    • Evening Star Pattern यह एक बियरिश रिवर्सल पैटर्न है, जो अपट्रेंड के बाद बनता है। इसमें पहली कैंडल लंबी बुलिश होती है, दूसरी कैंडल छोटी (डोजी या स्पिनिंग टॉप) होती है, और तीसरी कैंडल लंबी बियरिश होती है। यह पैटर्न संकेत देता है कि बाजार में मंदी का दौर शुरू हो सकता है।
  3. थ्री व्हाइट सोल्जर्स (Three White Soldiers):
    • Three White Soldiers Pattern यह एक बुलिश रिवर्सल पैटर्न है, जिसमें तीन लगातार लंबी हरी कैंडल्स होती हैं। यह पैटर्न दर्शाता है कि बाजार में तेजी का रुझान मजबूत हो रहा है और खरीदारों का दबाव बढ़ रहा है।
  4. थ्री ब्लैक क्रोज़ (Three Black Crows):
    • Three Black Crows Pattern यह एक बियरिश रिवर्सल पैटर्न है, जिसमें तीन लगातार लंबी लाल कैंडल्स होती हैं। यह पैटर्न दर्शाता है कि बाजार में मंदी का रुझान मजबूत हो रहा है और विक्रेताओं का दबाव बढ़ रहा है।

चार्ट कैंडलस्टिक Bullish Bearish रिवर्सल पैटर्न्स

  1. बुलिश रिवर्सल पैटर्न (Bullish Reversal Pattern): यह पैटर्न तब बनते हैं जब बाजार में गिरावट के बाद तेजी का रुझान शुरू होता है। प्रमुख बुलिश पैटर्न्स में शामिल हैं:
    • हैमर (Hammer)
    • बुलिश एन्गल्फिंग (Bullish Engulfing)
    • पियरसिंग लाइन (Piercing Line)
  2. बियरिश रिवर्सल पैटर्न (Bearish Reversal Pattern): यह पैटर्न तब बनते हैं जब बाजार में तेजी के बाद मंदी का रुझान शुरू होता है। प्रमुख बियरिश पैटर्न्स में शामिल हैं:
    • शूटिंग स्टार (Shooting Star)
    • बियरिश एन्गल्फिंग (Bearish Engulfing)
    • डार्क क्लाउड कवर (Dark Cloud Cover)

कैंडलस्टिक चार्ट का एनालिसिस

कैंडलस्टिक चार्ट का विश्लेषण करते समय, विभिन्न कैंडल्स और पैटर्न्स पर ध्यान देना आवश्यक है। कैंडलस्टिक पैटर्न्स को समझने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दें:

  1. सिंगल कैंडल पैटर्न: यह पैटर्न केवल एक कैंडल से बनता है, जैसे कि डोजी, हैमर, और शूटिंग स्टार। यह पैटर्न रिवर्सल या कंटिन्यूएशन का संकेत दे सकता है।
  2. मल्टीपल कैंडल पैटर्न: यह पैटर्न दो या अधिक कैंडल्स से मिलकर बनता है, जैसे कि बुलिश एन्गल्फिंग, बियरिश एन्गल्फिंग, और मॉर्निंग स्टार। यह पैटर्न बाजार की दिशा में संभावित बदलाव का संकेत देता है।
  3. समर्थन और प्रतिरोध: कैंडलस्टिक चार्ट पर महत्वपूर्ण समर्थन और प्रतिरोध स्तरों का विश्लेषण करें। यह स्तर महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि कीमतें अक्सर इन स्तरों पर आकर रुक जाती हैं या पलट जाती हैं।
  4. वॉल्यूम के साथ एनालिसिस: कैंडलस्टिक चार्ट का विश्लेषण करते समय वॉल्यूम पर भी ध्यान दें। उच्च वॉल्यूम के साथ पैटर्न की पुष्टि होने पर ट्रेडिंग संकेत अधिक प्रभावी होते हैं।
  5. ट्रेंड की पहचान: सबसे पहले, चार्ट पर मौजूदा ट्रेंड की पहचान करें। अपट्रेंड, डाउनट्रेंड, या साइडवेज ट्रेंड का पता लगाएं ताकि आप समझ सकें कि बाजार किस दिशा में आगे बढ़ रहा है।
  6. पैटर्न्स की पहचान: कैंडलस्टिक चार्ट में विभिन्न प्रकार के पैटर्न्स की पहचान करें, जैसे हैमर, डोजी, एन्गल्फिंग पैटर्न, आदि। इन पैटर्न्स से आप बाजार के संभावित रिवर्सल या कंटिन्यूएशन का अनुमान लगा सकते हैं।
  7. कंफर्मेशन का इंतजार: केवल पैटर्न देखकर ही ट्रेड में प्रवेश न करें। कंफर्मेशन के लिए अगली कैंडल का इंतजार करें, ताकि आप यह सुनिश्चित कर सकें कि बाजार वास्तव में उसी दिशा में जा रहा है जिसकी उम्मीद की जा रही है।

कैंडलस्टिक चार्ट का ट्रेंड

किसी भी चार्ट को समझने के लिए ट्रेंड की पहचान करना बहुत जरूरी होता है। कैंडलस्टिक चार्ट में मुख्य रूप से तीन प्रकार के ट्रेंड होते हैं:

  1. अपट्रेंड (Uptrend): जब बाजार में कीमतें लगातार बढ़ रही होती हैं, तो उसे अपट्रेंड कहा जाता है। अपट्रेंड में बुलिश पैटर्न्स जैसे हैमर और बुलिश एन्गल्फिंग की पहचान करें।
  2. डाउनट्रेंड (Downtrend): जब बाजार में कीमतें लगातार गिर रही होती हैं, तो उसे डाउनट्रेंड कहा जाता है। डाउनट्रेंड में बियरिश पैटर्न्स जैसे शूटिंग स्टार और बियरिश एन्गल्फिंग पर ध्यान दें।
  3. साइडवेज ट्रेंड (Sideways Trend): जब बाजार में कोई स्पष्ट दिशा नहीं होती और कीमतें सीमित दायरे में घूम रही होती हैं, तो इसे साइडवेज ट्रेंड कहा जाता है। इस स्थिति में ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन का इंतजार करना बेहतर होता है।

कैंडलस्टिक चार्ट का उपयोग कैसे करें?

कैंडलस्टिक चार्ट का उपयोग करते समय, कुछ प्रमुख बिंदुओं का ध्यान रखना चाहिए:

  1. ट्रेंड की पहचान करें: सबसे पहले, चार्ट पर मौजूदा ट्रेंड (उच्चतम, निम्नतम या साइडवेज) की पहचान करें। यह जानने के लिए कि बाजार किस दिशा में आगे बढ़ रहा है, ट्रेंड का विश्लेषण आवश्यक है।
  2. समर्थन और प्रतिरोध स्तर देखें: कैंडलस्टिक चार्ट पर महत्वपूर्ण समर्थन (Support) और प्रतिरोध (Resistance) स्तरों को देखें। समर्थन वह स्तर होता है जहां कीमतें नीचे से ऊपर की ओर मुड़ सकती हैं, जबकि प्रतिरोध वह स्तर होता है जहां कीमतें ऊपर से नीचे की ओर मुड़ सकती हैं।
  3. कंफर्मेशन का इंतजार करें: किसी भी पैटर्न को देखकर तुरंत ट्रेड में प्रवेश न करें। पैटर्न की पुष्टि के लिए अगली कैंडल का इंतजार करें। कंफर्मेशन से ट्रेडिंग निर्णय और अधिक सटीक हो जाते हैं।
  4. वॉल्यूम का विश्लेषण करें: ट्रेडिंग करते समय वॉल्यूम (Volume) का भी ध्यान रखें। उच्च वॉल्यूम के साथ पैटर्न की पुष्टि होने पर ट्रेडिंग संकेत मजबूत हो जाते हैं।
  5. समग्र बाजार स्थिति का विश्लेषण करें: कैंडलस्टिक चार्ट का विश्लेषण करते समय, समग्र बाजार की स्थिति और अन्य तकनीकी संकेतकों का भी ध्यान रखें।

कैंडलस्टिक चार्ट के फायदे

  1. दृश्यता में आसानी: कैंडलस्टिक चार्ट अन्य चार्ट्स (जैसे लाइन चार्ट या बार चार्ट) की तुलना में अधिक स्पष्ट और समझने में आसान होते हैं। यह चार्ट रंगों और पैटर्न्स के माध्यम से बाजार की दिशा को जल्दी समझने में मदद करता है।
  2. मनोवैज्ञानिक संकेत: कैंडलस्टिक चार्ट बाजार के मनोविज्ञान को दर्शाता है, जिससे आप यह समझ सकते हैं कि बाजार में खरीदार और विक्रेता कैसे प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
  3. रिवर्सल का संकेत: कैंडलस्टिक पैटर्न्स संभावित रिवर्सल (उलटफेर) का संकेत देते हैं, जिससे आप सही समय पर ट्रेडिंग निर्णय ले सकते हैं।
  4. लचीलापन: कैंडलस्टिक चार्ट का उपयोग किसी भी समयावधि में किया जा सकता है, चाहे वह एक मिनट का चार्ट हो या एक महीने का। इसका उपयोग स्टॉक्स, फॉरेक्स, कमोडिटी, और क्रिप्टोकरेंसी में किया जा सकता है।

कैंडलस्टिक चार्ट के सीमाएँ

  1. फेक सिग्नल्स: कभी-कभी कैंडलस्टिक पैटर्न्स गलत संकेत भी दे सकते हैं, खासकर यदि बाजार में वॉल्यूम कम हो या अन्य संकेतक इसे सपोर्ट न कर रहे हों।
  2. अन्य संकेतकों पर निर्भरता: कैंडलस्टिक चार्ट अकेले प्रभावी नहीं होते। इन्हें अन्य तकनीकी संकेतकों जैसे RSI, MACD, मूविंग एवरेज के साथ मिलाकर उपयोग करना चाहिए।
  3. समय की जरूरत: कैंडलस्टिक चार्ट का सही उपयोग करने के लिए समय और अनुभव की आवश्यकता होती है। नए निवेशकों को इन पैटर्न्स को समझने और उनका सही ढंग से विश्लेषण करने में समय लग सकता है।
  4. डेटा ओवरलोड: यदि आप एक दिन के छोटे समयावधि के चार्ट्स (जैसे 1-मिनट या 5-मिनट) का उपयोग करते हैं, तो डेटा की अधिकता हो सकती है, जिससे आपको सही निर्णय लेने में परेशानी हो सकती है।

निष्कर्ष

Candlestick Chart Full Detail In Hindi कैंडलस्टिक चार्ट तकनीकी विश्लेषण का एक महत्वपूर्ण और प्रभावी उपकरण है, जो बाजार की दिशा, रिवर्सल्स और संभावित मूवमेंट को समझने में मदद करता है। इसकी सरल संरचना और रंगों का उपयोग इसे अन्य चार्ट्स की तुलना में अधिक स्पष्ट और उपयोगी बनाता है। कैंडलस्टिक चार्ट न केवल ओपन, क्लोज़, हाई और लो प्राइस को दर्शाता है, बल्कि यह बाजार के मनोविज्ञान को भी प्रकट करता है, जिससे निवेशक और ट्रेडर्स बाजार के मूड और संभावित बदलाव का अनुमान लगा सकते हैं।

कैंडलस्टिक चार्ट का सही उपयोग आपको बाजार के रुझानों को पहचानने, समय पर सही ट्रेडिंग निर्णय लेने, और जोखिम को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है। चाहे आप शॉर्ट-टर्म ट्रेडर हों या लॉन्ग-टर्म निवेशक, कैंडलस्टिक चार्ट्स आपकी ट्रेडिंग और निवेश रणनीति को और सटीक बनाने में सहायक हो सकते हैं।

हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि केवल कैंडलस्टिक पैटर्न्स पर निर्भर न रहें। अन्य तकनीकी संकेतकों, वॉल्यूम, और समग्र बाजार की स्थिति का विश्लेषण करके ही सही निर्णय लें। कैंडलस्टिक चार्ट्स को समझना और नियमित रूप से उनका अभ्यास करना आपकी ट्रेडिंग यात्रा में सफलता की कुंजी हो सकता है।

इसलिए, कैंडलस्टिक चार्ट को अपने तकनीकी विश्लेषण का हिस्सा बनाएं और बाजार में आत्मविश्वास के साथ कदम बढ़ाएं। आपकी ट्रेडिंग और निवेश यात्रा में सफलता की शुभकामनाएँ!

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Trader Krishan

नमस्कार मैं कृष्ण कुमार इस ब्लॉग का संस्थापक हूं मैं पैसे से Youtuber पर और Blogger हूं मुझे ट्रेडिंग करते हुए 3 साल हो गए हैं अभी तक मैंने मार्केट शेयर बाजार के बारे मे जितना सीखा है उसे मे Tradezonezero.com हिन्दी blog के माध्यम से आप के साथ बाटना चाहता हु। |

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